Breaking News
धामी सरकार के तीन साल- प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित
धामी सरकार के तीन साल- प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित
क्या आपकी उम्र भी है 50 से ज्यादा, तो इन टीकों को जरुर लगवाएं, बीमारियों का खतरा होगा कम 
क्या आपकी उम्र भी है 50 से ज्यादा, तो इन टीकों को जरुर लगवाएं, बीमारियों का खतरा होगा कम 
लच्छीवाला टोल प्लाजा पर डंपर ने कारों को मारी टक्कर, दो लोगों की मौत 
लच्छीवाला टोल प्लाजा पर डंपर ने कारों को मारी टक्कर, दो लोगों की मौत 
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 3 वर्षों के कार्यकाल को जनता ने सराहा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 3 वर्षों के कार्यकाल को जनता ने सराहा
मुख्यमंत्री धामी ने ‘’एक शाम देश के भगत के नाम’’ कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में किया प्रतिभाग 
मुख्यमंत्री धामी ने ‘’एक शाम देश के भगत के नाम’’ कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में किया प्रतिभाग 
मुख्यमंत्री धामी ने फिट इंडिया, फिट उत्तराखंड रन और साइकिल रैली का किया शुभारंभ 
मुख्यमंत्री धामी ने फिट इंडिया, फिट उत्तराखंड रन और साइकिल रैली का किया शुभारंभ 
उपनल व संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए ठोस नीति बनेगी- सीएम
उपनल व संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए ठोस नीति बनेगी- सीएम
राज्य सरकार के तीन वर्ष पूर्ण: रुद्रपुर में आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने गिनाई उपलब्धियां
राज्य सरकार के तीन वर्ष पूर्ण: रुद्रपुर में आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने गिनाई उपलब्धियां
युवाओं के बीच पहुंच मुख्यमंत्री ने लगाए पुश- अप्स
युवाओं के बीच पहुंच मुख्यमंत्री ने लगाए पुश- अप्स

जलवायु संकट और भारत

जलवायु संकट और भारत

अशोक शर्मा
वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन में यह तय हुआ था कि वैश्विक तापमान को औद्योगिक युग से पहले के तापमान से 1. 5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने दिया जायेगा।  लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वर्तमान नीतियों पर ही दुनिया चलती रही, तो इस लक्ष्य को पूरा करना असंभव है।  कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने विकसित देशों और बड़ी कंपनियों की आलोचना करते हुए कहा था कि ये सभी वादे तो बड़े-बड़े करते हैं, पर उसे पूरा नहीं करते।  हालांकि भारत को अपनी विकास आकांक्षाओं को साकार करने के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है तथा उसके लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता में बड़ी कटौती कर पाना कठिन है, फिर भी भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग को बढ़ाने को अपनी नीतिगत प्राथमिकता बनाया है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका, चीन और यूरोप के अनेक विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन बहुत कम है।  यह अमेरिका में 14. 44, चीन में 8. 85 और जर्मनी में 8. 16 मेट्रिक टन है, जबकि भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन केवल 1. 91 मेट्रिक टन है।  भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट हरित ऊर्जा उत्पादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।  ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 2070 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने की दिशा में अग्रसर है।  कुछ समय पहले राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की गयी है।

अंतरिम बजट में कृषि अवशिष्टों के ऊर्जा स्रोत में बदलने के लिए वित्तीय उपायों की घोषणा हुई है।  कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सूर्योदय योजना की घोषणा की है, जिसके अंतर्गत निम्न आय वर्ग के एक करोड़ घरों पर सोलर पैनल लगाये जायेंगे।  बजट में प्रावधान किया गया है कि इन घरों को मुफ्त बिजली भी मिलेगी और वे अपने यहां उत्पादित बिजली के अधिशेष को बिजली ग्रिडों को बेचकर कमाई भी कर सकेंगे।  पेरिस जलवायु सम्मेलन के बाद ही भारत और फ्रांस के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस का गठन हुआ था, जिसमें 125 से अधिक देश शामिल हो चुके हैं।  इस प्रकार भारत न केवल देश में वैकल्पिक और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रयासरत है, बल्कि वह वैश्विक सहभागिता को भी प्रोत्साहित कर रहा है।  दुबई जलवायु सम्मेलन में भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जानकारी दी थी कि 2021-22 में भारत ने 13। 35 लाख करोड़ रुपये जलवायु प्रयासों पर खर्च किया है, जो सकल घरेलू उत्पादन का लगभग 5। 6 प्रतिशत हिस्सा है।  अगले सात वर्षों में इन कोशिशों पर 57 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top